प्रेस विज्ञप्ति
शोध शिखर बाल विज्ञान पर्व–2025
हरित प्रौद्योगिकी का प्रवर्धन एवं सतत विकास लक्ष्यों द्वारा विकसित भारत की दिशा में
डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, वैशाली, बिहार में शोध शिखर बाल विज्ञान पर्व–2025 का भव्य एवं गरिमामयी आयोजन अत्यन्त उत्साहपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस वर्ष का केन्द्रीय विषय “हरित प्रौद्योगिकी प्रवर्धन एवं सतत विकास लक्ष्य” निर्धारित किया गया, जिसके माध्यम से छात्रों में पर्यावरणीय चेतना, वैज्ञानिक सोच एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया।
इस विज्ञान पर्व में लगभग 200 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया। प्रतिभागी विद्यार्थी कक्षा 9वीं से 12वीं तक के थे, जो एल. एन. एस. वी. मंदिर, भगवानपुर, पी. एम. श्री जवाहर नवोदय विद्यालय तथा एम. पी. एस. अकादमी से पधारे।
प्रतियोगिता मुख्यतः दो प्रमुख श्रेणियों में आयोजित की गई—
1. पोस्टर प्रस्तुति, जिसमें लगभग 15 उत्कृष्ट पोस्टर प्रस्तुत हुए।
2. मॉडल प्रदर्शनी, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा 50 से अधिक नवाचारी मॉडल प्रदर्शित किए गए।
विजयी प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाण–पत्रों के साथ सम्मानित राशि प्रदान की गई, जिससे छात्रों में वैज्ञानिक नवाचार एवं अनुसंधान भावना के प्रति विशेष उत्साह देखा गया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) समित तिवारी, प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) बसंत कुमार सिंह, कुल सचिव प्रो. (डॉ.) ब्रिजेश सिंह, अधिष्ठाता शैक्षणिक प्रो. (डॉ.) धर्मेन्द्र सिंह, तथा अन्य विभागों के सहायक प्राध्यापकों ने अपनी सम्मानित उपस्थिति दर्ज की।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति डॉ. समित तिवारी ने बच्चों में विज्ञान के प्रति अनुराग, जिज्ञासा तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया।
कुल सचिव डॉ. ब्रिजेश सिंह ने भारतीय संविधान के मूल कर्तव्यों में निहित वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करने पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि शोध शिखर जैसे मंच विद्यार्थियों को नवाचार, अनुसंधान एवं प्रयोगशीलता के लिए प्रेरित करते हैं, जो विकसित भारत के निर्माण की आधारशिला हैं।
प्रति कुलपति डॉ. बसंत कुमार सिंह ने आयोजन की सफलता हेतु बच्चों, अध्यापकों एवं सहयोगी कर्मियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि ऐसे कार्यक्रम शिक्षा और शोध संस्कृति को नई दिशा प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम को सफल एवं प्रभावी बनाने में अधिष्ठाता शैक्षणिक प्रो. (डॉ.) धर्मेन्द्र सिंह, डॉ. अकांक्षा, तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक ओंकार शरद की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण रही।